स्त्रियां नदिया होती है।
नदियां,नदियां होती हैं, स्त्रियां, स्त्रियां होती हैं, पर नदियों की तरह स्त्री भी निश्चल, निर्झर होकर सतत बहती रहती है निर्बाध लक्ष्य की तरफ, स्त्री का जीवन भी नन्हीं पुत्री, बेटी से शुरू होकर बहन, पत्नी और मां के रूप में दिव्य, विशाल हो जाता है, नदिया भी पहाड़ की छोटी कंदराओं से छोटी धार के रूप मे…
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ग़ज़ल
दुनिया कहती  और कुछ। बात  असली  और  कुछ। बोली  ढफली  और कुछ। पगली  समझी और कुछ।ंं उनका  लेखन  है अलग, शैली  अपनी  और कुछ। पिछड़ी  बातें  छोड़ कर, कीजै अगली और कुछ। जितना  सुलझाया  उसे, गुत्थी उलझी और कुछ।   हमीद कानपुरी 1           यदि        आप   स्वैच्छिक   दुनिया   में   अपना   लेख   प्रकाशित   …
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निधि भार्गव मानवी साहित्य भूषण सम्मान से अलंकृत
( स्वैच्छिक दुनिया )  नई दिल्ली :- अखिल भारतीय अनुबन्ध फाउंडेशन मुम्बई द्वारा महाकवि डॉ. कुॅंअर बेचैन जी की पुण्य स्मृति में काव्य संध्या व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।  ओपन थिएटर ,ग़ाज़ियाबाद में आयोजित समारोह में अनुबंध फाउंडेशन के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष  प्रमोद कुमार कुश 'तनहा…
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