गजल
जिन्दगी हर घड़ी, बस रूलाने लगी। आहिस्ता-आहिस्ता,दूर जाने लगी।। मैं अकेला खड़ा रह गया, भीड़ में, मेरी तन्हाई मुझको रूलाने लगी। जिन्दगी हर घड़ी बस रूलाने लगी। किससे जाकर बयाँ, मैं करूँ हाल-ऐ-दिल, हर नजर मुझसे नजरें चुराने लगी। जिन्दगी हर घड़ी बस रूलाने लगी। मेरी चर्चा से ही तब महफिलें सजती थी, आज आक…