गजल
जिन्दगी हर घड़ी, बस रूलाने लगी। आहिस्ता-आहिस्ता,दूर जाने लगी।। मैं अकेला खड़ा रह गया, भीड़ में, मेरी तन्हाई मुझको रूलाने लगी।  जिन्दगी हर घड़ी बस रूलाने लगी। किससे जाकर बयाँ, मैं करूँ हाल-ऐ-दिल, हर नजर मुझसे नजरें चुराने लगी। जिन्दगी हर घड़ी बस रूलाने लगी। मेरी चर्चा से ही तब महफिलें सजती थी, आज आक…
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आओ एक नया इतिहास बनाये
औरंगजेब और कुतुबुद्दीन ऐबक हमारे कोई नहीं थे , वो मेहमान थे और मेहमान नवाजी करते करते वो हमारे चचा के फूफा बन गए और हम उन के गुलाम। कमाल की बात तो यह है कि हम अपनी संस्कृति और इतिहास भूल मुग़लई में ऐसे रँगे की आज तक उन के नाम पर मस्जिद और शहर बसाये हुए है। हमनें अपनी पीढ़ी तो गुलाम बना ही ली ये मजहब…
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ज़िंदगी हर कदम एक नयी उमंग
"ज़िंदगी हर कदम एक नयी उमंग" शिखर चंद जैन सर की तृतीय अनमोल आलेख संग्रह है। इसके पूर्व इनकी प्रकाशित दो अनमोल आलेख संग्रहों ने पाठकों के मन को मोहने में खूब सफलता अर्जित की है। अब यह संग्रह भी जन-जन के मन में अपना विशेष स्थान बना रहा है.                     लेखक ने इस पुस्तक को अंतिम रुप द…
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