कानाफूसी

धीरे धीरे बात सारी जगह फैलती जा रही थी, कानाफूसी शुरू हो चुकी थी । मीसू और नवीन को भी शक सा होने लगा था कि उनको देखकर कुछ लोग बातें करते हैं, ताने कसते हैं । फिर भी दोनों बेझिझक अपनी जिंदगी जी रहे थे ।

नया शहर, नवीन का नया कॉलेज और मीसू की नई नॉकरी और नया माहौल । कितना कुछ था जानने समझने के लिए लेकिन आते उन्हें कुछ महीने भी नहीं हुए थे कि लोगों की बातें सुनने मिलने लगीं ।
अब तो राह चलते लोग भी ताने मारने लगे थे कि "देखो कितने बेशर्म लोग हैं बिना शादी के साथ रह रहे हैं, साथ आते जाते हैं , सभी के सामने गाड़ी पर साथ घूमते हैं ।"
मीसू और नवीन को अब वह शहर और लोगों की बातें अंदर तक चुभने लगी थीं । जो शहर छोड़ा था, वहां पैदा हुए थे तो कोई कुछ बोलने वाला नहीं था कि दोनों कैसे रहते हैं ? क्या रिश्ता है ?
एक रात मीसू को नींद नही आ रही थी तो वह घर के बाहर लगे पीपल के पेड़ के नीचे जा बैठी, नवीन रात को उठा तो देखा मीसू भी नहीं है और दरवाज़ा भी खुला है, कुछ आशंका सी होने पर भागता हुआ बाहर आया तो देखा कि मीसू पेड़ के नीचे सर झुकाये बैठी थी ।
पिछले तीन चार दिनों ने वह ऑफिस भी नहीं गयी थी, रोज़ रोज़ मिलने वाले ताने उसे तोड़ रहे थे ।
" यहां क्या कर रही हो आप ?"
मीसू खामोश थी, आंखों से आंसू बह निकले ।
"चलिए अंदर मासी, बहुत हुआ मुझे नहीं पढ़ना इस शहर में । दम घुटने लगा है मेरा, बहुत बुरे लोग हैं यहां के । एक लड़का - लड़की को साथ देख लें तो गलत ही सोचते हैं, उन्हें क्या पता आप कौन हो मेरी ? क्या रिश्ता है अपना ? चलो इस शहर से वापिस ।'"
नवीन रोते हुए जमीन पर बैठ गया और सिर मीसू की गोदी में रख लिया ।
कुछ देर दोनों रोते रहे, उस पेड़ की दूसरी ओर उस मुहल्ले के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे जो ये सारी बातें सुन रहे थे ।
आकर बोले- " रिश्ता क्या है तुम दोनों के बीच ।"
नवीन अब अपना आपा खो चुका था, उसने बुजुर्ग पर सारा गुस्सा उतारा यह कहते हुए कि - " तुम लोगों की घटिया सोच के कारण आज हम लोगों की ये दशा है । क्या एक लड़का लड़की साथ रहते हैं , साथ आते जाते हैं तो क्या वह सिर्फ प्रेमी प्रेमिका ही हो सकते हैं या सिर्फ चरित्रहीन लोग । तुम लोग समझते क्या हो, जानने की कोशिश भी की कि क्या रिश्ता है हम दोनों का । नहीं रहना तुम्हारे शहर में । "
बुजुर्ग शांतभाव से फिर पूंछे - तुम लोगों का रिश्ता क्या है ?
मीसू कुछ देर चुप रही फिर बोली - " ये मेरा बहनोता है ।"
बुजुर्ग चुप थे, दोनों को देखते रहे । मीसू भी समझ गयी कि वह पूरी बात जानना चाहते हैं । आगे उसने बताया कि -
" जब वह छोटी थी तो एक दुर्घटना में उसके मां बाप की मौत हो गयी तबसे वह अपनी सबसे बड़ी बहिन के यहाँ रहने लगी, उसी बहिन का बेटा है नवीन । नवीन और मीसू में महज़ चार साल का अंतर है, इस कारण बेटी की तरह पाला था मीसू को उसकी बहिन और जीजा जी ने । कुछ साल पहले वह दोनों भी शांत हो गए, अब बचे दोनों तब फिर मीसू लाइब्रेनियन की नॉकरी शुरू कर दी और नवीन ने  स्कूल की पढ़ाई पूरी की । इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये नवीन को इस शहर आना पड़ा, साथ मीसू को भी ले आया कि अकेले वह कैसे रहेगी, यहां आकर मीसू को उसी कॉलेज में लाइब्रेनियन की नॉकरी मिल गयी, जहां नवीन पढ़ता था । इसलिए दोनों साथ आते जाते थे ।"
बुजुर्ग ने मीसू के सर पर हाथ फेरा। इतने सालों का अनुभव था लोगों को परखने का, इसलिये उन्हें मीसू की सादगी पसन्द आ गई। अगली सुबह नवीन से बोले अपनी मासी की शादी मेरे पोते धवल से करोगे, अच्छा कमाता है फोटोकॉपी की दुकान है। कोई कुछ नहीं कहेगा फिर ।
नवीन चुप रहा लेकिन उसने मीसू से बात की और उसे मना भी लिया । मीसू - धवल ने भी एक दूसरे को पसंद कर लिया । लेकिन मौहल्ले वालों का खाना नहीं पच रहा था कि एक ठेकेदार ने कैसे बिना जाने समझे अपने घर की बहु बना लिया मीसू को। इधर भी वही कानाफूसी शुरू हो गयी।
विवाद आगे बढ़ेगा जानकर उन बुजुर्ग ने सगाई के दिन ही सभी को मीसू और नवीन की सच्चाई बता दी। माहौल एकदम शांत हो गया, महीनों ने जो सिरदर्द था वह भी ठीक हो गया। उन बुजुर्ग के कहने पर अब शादी के बाद नवीन, मीसू की ससुराल में रहने लगा जो रोज की तरह शादी के बाद भी कॉलेज साथ आता जाता था।

 जयति जैन नूतन,
     भोपाल

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