भीड़ का हिस्सा क्यों बने?

क्या हम भीड़ का हिस्सा हैं??

जी हां हम भी उसी भीड़ का एक हिस्सा ही है, जो अक्सर किसी दुर्घटना के शिकार शख्स को खड़ी सड़क पर देखते हुए विडियो बना रही है। 
अक्सर हम देखते हैं आए दिन कोई ना कोई वीडियो वायरल होता है।
और कहते है, कि इतना शेयर करें कि यह वीडियो फला मंत्री,  या पुलिस वालों तक पहुंचे और हम बिना सोचे- समझे आगे से आगे शेयर करते हैं।
 क्या कभी किसी ने जानने की कोशिश की यह वीडियो कहां से आई, किसने बनाई, क्यों और कैसे बनाई?

 भेड़ चाल की तरह हम आगे वीडियो शेयर कर देते हैं,  उसकी तह तक नहीं जाते। कोई मोर्चा निकले तो भी आधे लोग बिना जाने कि ये किसलिए है भीड़ में चल पड़ते हैं। कम से कम इतना तो जाने कि मोर्चे का मकसद क्या है? 
हम जिस शख्स तक वीडियो पहुंचाना चाहते है, क्या वो कृष्णा अवतार है, अनेकों रूप धरकर हर जगह मौजूद रहे और सबकी मदद करें। हर जगह कोई मंत्री या पुलिस मदद के लिए पहले से नहीं खड़ी होगी, हम में से ही किसी को पहली मदद करनी होगी।
क्या हमारा फर्ज नहीं अपराधी को सजा दिलवाए, पिड़ित का बचाव करें।
जो शख्स वीडियो बना रहा है क्या वह उनकी मदद नहीं कर सकता? 
क्योंकि वह डरता है, अगर वह उनकी मदद करने जाएगा तो पचड़े में फंस जाएगा।
यही डर  उसे मदद करने से रोकता है।
 इसी तरह आए दिन सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में कोई आगे नहीं आता बचाने के लिए सभी वीडियो बनाकर शेयर करते रहते है।
इसका मूल कारण है अशिक्षा।
अधिकतर अशिक्षित होने के कारण लोग यह समझते हैं कि पुलिस  परेशान करेगी, कौन फंसे पचड़े में, यही स्वार्थ भाव हमें कर्तव्यविमुख करता है, मगर जहां तक पुलिस का सवाल है वह अपनी कार्यवाही करती है सबूत और गवाहों के आधार पर इसके लिए ज्ञान होना जरूरी है।
मुसीबत हम पर भी तो आ सकती है,  ज़रा सोचिए कल को हम पर कोई मुसीबत आती है और कोई भी हमारी मदद के लिए आगे नहीं आता, तो हमें कितना दुःख पहुंचता है, इसी तरह जब हम भी किसी को मुसीबत में घिरा देख मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाते तो उस शख्स पर भी वही बीतती है।
तो हमें भीड़ की तरह तमाशा ना देखते हुए, भीड़ का हिस्सा ना बनते हुए, अपने कर्तव्य का पालन करते हुए, पीड़ित की मदद करनी चाहिए, और मुजरिम के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।













   प्रेम बजाज 
 ( यमुनानगर )

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