अपराध करने के बाद घर में घुसकर 'बीमार' बन जाता है सुतरखाने का हिस्ट्रीशीटर!
मजिस्ट्रेट की उपस्तिथि में बॉबी का सरकारी मेडिकल चेकअप कराने और पुराने मेडिकल रिकॉर्ड के जांच की मांग करेंगे व्यापारी

( स्वैच्छिक दुनिया ) कानपुर :- कहते हैं ना कि चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से ना जाए...इसी कहावत को चरितार्थ कर रहा है हरबंसमोहल थाने का हिस्ट्रीशीटर नंबर 2137/ए, मोहम्मद अहमद उर्फ बॉबी...घर से अपने गिरोह के साथ निकलता है, बवाल और मारपीट करता है। फिर कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए डॉक्टरों के पर्चे दिखाकर, बीमारी का बहाना बनाकर, घर में वापस जाकर दुबक जाता है। ज्यादा दबाव पड़ता है तो महिलाओं को ढाल बनाकर अपने बचाव में आगे कर देता है। ये आरोप है रेलवे के व्यापारियों का, जो बॉबी बदमाश की गुंडई और रंगदारी की डिमांड से पीड़ित हैं। अब पीड़ित व्यापारी कोर्ट से मजिस्ट्रेट की उपस्तिथि में बॉबी के सरकारी मेडिकल चेकअप की मांग करने वाले हैं।

बीती 17 मई मई को भी शातिर, लेकिन डरपोक बॉबी बदमाश ने यही किया। सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 9 पर स्थित माल गोदाम और बुकिंग ऑफिस में अपने गुंडों समेत घुसकर नफीस और मो.आफताब अहमद नाम के व्यापारियों को धमकाया। उनसे प्रति नग 300 रुपए रंगदारी मांगी, व्यापारियों के विरोध करने पर उनसे गालीगलौज की और मारपीट तक कर डाली। ये पूरी घटना रेलवे के सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हुई, जिसमे बॉबी बदमाश परिसर के अंदर पूरे जोशो खरोश से व्यापारियों को धमका कर हाथापाई कर रहा है। वो कहीं से बीमार नहीं लग रहा। आक्रोशित व्यापारी नफीस ने अपने साथियों संग तुरंत ही सेंट्रल स्टेशन जीआरपी थाने में मो.अहमद उर्फ बॉबी व गिरोह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। व्यापारी नफीस की जीआरपी को दी गई तहरीर के अनुसार बॉबी के साथ में उसके अपराधिक रिकॉर्ड वाले तीन पुत्र साकिब, अर्श और फरदीन समेत 15 से 20 अज्ञात लोग भी मारपीट करने रेल गोदाम परिसर में घुसे थे। बाद में जोड़ जुगाड से बॉबी ने भी व्यापारी के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया, लेकिन ये साफ तौर पर पेशबंदी है। फिर बता दें कि बॉबी 307 का सजायाफ्ता मुजरिम है, जो सालों से बेल पर बाहर है। जान लगाए रहता है कि हरबंसमोहल थाने से उसकी हिस्ट्रीशीट रनिंग में ना आ जाए। इसलिये जीआरपी में जावेद द्वारा मुकदमे के बाद धमकियां काम नहीं आईं तो अपनी बेटी और दो अन्य महिलाओं द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस करवाई,  जिसमें खुद के सालों से बीमार होने और रेलवे के कुछ व्यापारियों द्वारा फर्जी मुकदमे दर्ज करवा के परेशान किए जाने के बेतुके आरोप लगवाए।


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