वो दिन

वो दिन अच्छी तरह याद है जब कार के रेड सिग्नल पर रुकते ही ,एक छोटा बच्चा अपने हाथों में हवा से नाचने वाली चकरी का बंडल थामें निलय के पास आ गया था। 

"ले लो न साहब !..मुझे स्कूल के लिए कुछ सामान खरीदने है।दो घंटे बाद मेरी स्कूल लगने वाली है। "
"ले लो न साहब...आपके बच्चे इसे देखकर खुश हो जाएंगे।"
"अच्छा ठीक है,पहले अपना नाम बताओ!..किस वर्ग में पढ़ते हो..?"
"मेरा नाम निकेतन है साहब..,और मैं छठी वर्ग में पढ़ता हूँ।"
"अरे वाहऽ..बहुत प्यारा नाम है तुम्हारा और तुम भी बहुत प्यारे हो।"
बच्चे की तरफ थोड़ी दया दिखाते हुए निलय ने कुछ पैसे उसे यूँ ही देना चाहा। 
"लो ये रख लो,तुम्हारे काम आएंगे।"
नहीं,नहीं साहब!.ये तो आप मेरे भविष्य के साथ अन्याय कर रहे हैं। 
"क्या मैनें आपसे रुपये भीख में माँगे है!.अगर भीख ही लेना होता तो भीख ही माँगता।"
"कोई बात नहीं साहब!.,आपको नहीं लेने हैं मत लिजिए।" यह कहकर निकेतन आगे की ओर बढ़ने लगा।  
"अरे !अरे!.बेटा मुझे माफ करो।इधर आओ। बताओ कितने की है ये पूरी की पूरी। "
"पूरी करीब दो सौ की है साहब,पर आपको कितनी चाहिए वो बोलो।"
बच्चे के स्वाभिमानी तेवर पर एक पल को निलय शर्मिंदा हो आया। 
"मुझे सारे के सारे चाहिए !दो मुझे,..और ये लो अपने दो सौ रुपये।"
तभी हरी बती के जलते ही गाड़ी बढानी पड़ी। 
"सुनो कल मुझे यहीं मिलना..ठीक है। जरुर मिलना"। 
रास्ते भर निलय उस बच्चे के बारे में सोंचता रहा।
अगले दिन ठीक वहीं पर वह इंतजार करता मिला। 
निकेतन!.ये बताओ घर में और कौन -कौन है ..?
"घर..?.मेरा तो कोई नहीं..एक आई है जो हम जैसे बच्चों को रहने और खाने में मदद करती हैं। उनका भी कोई नहीं..हमारा भी कोई नहीं।"
"हमलोग मिलकर ही परिवार बन गये है। आई और हमसब मिलकर ये सामान बनाते और बेचते हैं। जिससे स्कूल की पूर्ति करता हूँ।"
"ये तो अच्छी बात है। क्या तुम मेरे साथ चलना चाहोगे..?तुम्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी और एक घर-परिवार भी मिलेगा। "
"साहब!..मैं इतना स्वार्थी नहीं!.हमारी आई और मेरे वो भाई-बहन उन सबको छोड़ दूँ ..?सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए।"
"हमारे प्यार में दया की सेंधमारी मत करो साहब!..हमारे पास अगर कुछ है तो एक -दूसरे के लिए प्यआर।  
आज अचानक से अपने सामने एक जानी-पहचानी आवाज सुन वह चौंक पड़ा। निलय गौर से उस चेहरे को देखता हुआ बोला!..निकेतन.??
हाँ साहब!..मैं निकेतन!..आज से मैं ही आपका असिस्टेंट हूँ।
आपने मेरा रेज्यूम देखकर ही मुझे यह पद दिया है।



  









       सपना चन्द्रा
          बिहार

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