साहित्य शक्ति संस्थान के सौजन्य से आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न

( स्वैच्छिक दुनिया ) देवरिया  :- भाषा और साहित्य की सेवा के लिए निरंतर प्रयत्नशील एवं साहित्य के उत्थान हेतु कृत संकल्पित संस्थान साहित्य शक्ति संस्थान देवरिया-उत्तर प्रदेश के सौजन्य से गूगल मीट के माध्यम से तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय  कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें भारत के कोने कोने से लगभग सौ कवि एवं कवत्रियों ने प्रतिभाग किया।यह कार्यक्रम दिनांक 24-05-2022 से दिनांक 26-05-2022 तक कुल तीन दिवसीय चला।प्रतिदिन दोपहर दो बजे कवि सम्मेलन शुरू होता तो देर शाम लगभग सात बजे तक चलता रहता।इस यशस्वी और शानदार कार्यक्रम की सफलता रचनाकारो के हिन्दी भाषा के प्रति समर्पण और त्याग को दर्शाता है।तीन दिनो तक चले इस कवि सम्मेलन का लाइव विडियो रिकार्ड भी किया गया है जिससे भविष्य मे इस कार्यक्रम को कभी भी देखा जा सके।

प्रथम दिन काव्यपाठ का आरम्भ देवरिया-उत्तर प्रदेश से पधारी शिक्षिका व कवयित्री अंजना मिश्रा ने अपने सुमधुर स्वर मे "माँ  शारदे शुभ गान दे,मै अर्चना तेरी करूं,चरणों मे तू स्थान दे" की वाणी वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम को गति देते हुए भ्रूण हत्या पर आधारित गीत प्रस्तुत कर स्रोताओ के हृदय को झकझोर दी।अनूपपुर से पधारी कवयित्री रजनी उपाध्याय ने अपने  कोकिल कंठ से अभिनन्दन गीत और अयोध्या की कवयित्री अर्चना द्विवेदी ने हिन्दी गीत "मेरी हिंदी भाषा,नित्य गढ़े नूतन,उन्नति की परिभाषा,माँ जैसी प्यारी है,माथे की बिंदिया, पहचान हमारी है।" प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।मुरादाबाद की कवियत्री  दीप्ती खुराना जी की 'नारी' शीर्षक कविता तथा सम्बल की कवियत्री डा0संयोगिता शर्मा के गीतो की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को ऊचाई प्रदान की।वाराणसी की  लोक गायिका मणि बेन द्विवेदी के गीतों की स्वर लहरियो ने लोक साहित्य को जीवंत कर दिया।

अल्मोड़ा की कवयित्री हेमा आर्य और लखनऊ की कवयित्री रेखा श्रीवास्तव ने अपने काव्यपाठ के दौरान खूब वाह वाही लूटी।प्रथम दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के संरक्षक वीरेन्द्र मिश्र बिरही ने सभी रचनाकारो को आशीर्वाद देते हुए साहित्य के उद्देश्य और साहित्यकार का दायित्व विषय पर गम्भीर बाते रखी।द्वितीय दिन के कार्यक्रम अध्यक्ष सागर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार बृन्दावन राय सरल की समीक्षा शैली और पिता शीर्षक कविता ने खूब तालिया बटोरी।गोरखपुर की कवयित्री व शिक्षिका नीरजा बसंती की समसामयिक  रचना "बहाना कोई भी बनाओगे कब तक, सनम बातें दिल में दबाओगे कब तक।" को सुनकर स्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गये।फर्रूखाबाद की कवयित्री मीनेश चौहान के भक्ति गीतो को सुनकर सभी स्रोता झूम उठे।

कार्यक्रम के दूसरे दिन देवरिया से रविन्द्र जैन के शिष्य करनराज मिश्र ने अपने गीतों से रसवर्षा कर मंच को बहुत बड़ा बना दिये।इसके बाद फतेहपुर से जुड़ी वरिष्ठ कवयित्री सीमा मिश्रा के गीत " मैं सृजन की साधिका बन,नवल पथ नित गढ रही हूँ, सिन्धु की मैं उर्मियों संग, नित्य आगे बढ़ रही हूँ।" सुनाकर बहुत आशीर्वाद बटोरी।सुपौल बिहार की कवयित्री प्रतिभा कुमारी, चित्रकूट की कवयित्री वंदना यादव,विदिशा की कवयित्री रिंकी कमल रघुवंशी और उन्नाव की कवयित्री कामिनी मिश्रा को सुनकर लगा कि हिन्दी कविता का भविष्य उज्ज्वल है।

कोलकाता की कवयित्री रचना सरन और मऊ की कवयित्री गुन्जा गुप्ता 'गुनगुन' ने तो अपने खनकती आवाज मे अपने गीत और गजलो को सुनाकर सभी का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में जुड़े जनपद चित्रकूट के रचनाकार उदयभान त्रिपाठी और अशोक प्रियदर्शी को सुनकर सभी श्रोता सोचने पर मजबूर हो गये।दिल्ली की कवयित्री सरिता प्रजापति और सोनभद्र की  कवयित्री अलका केसरी जी के काव्यपाठ को सुनकर हृदय गर्वानुभूति से भर गया।

संतकबीर नगर की कवयित्री अनुपम चतुर्वेदी की अनुपम रचना और पीलीभीत से जुड़ी श्रृंगार की कवयित्री अनीता विश्वकर्मा की रचना को सुनकर श्रोतागण रस की गंगा मे गोता लगाते रहे।

देहरादून की वरिष्ठ कवयित्री नीलोफर नीरू की सौम्य और सरस शैली तथा देवरिया की कवयित्री सुनीता सिह सरोवर की शिल्प प्रधान रचना सुनकर श्रोता आह! और वाह! करने पर विवश हो गये।द्वितीय दिन के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाषा शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान कटक ओडिसा के अध्यक्ष डा0 सत्य नारायण पांडा ने हिन्दी के वैश्विक फलक की चर्चा करते हुए रचनाकारो को भाषा की सेवा करने का आह्वान किए।इन्होंने अपनी मृत्युन्जयी रचना का पाठ कर कार्यक्रम को यशस्वी बना दिए।कटक से जुड़ी रसराज श्रृंगार की कवयित्री आकांक्षा रूपा ने अपनी रचना  प्रस्तुत कर कार्यक्रम मे प्राण भर दी।

कासगंज की कवयित्री डा0प्रवीण दीक्षित और कटक की कवयित्री डा0जानकी झा ने कविता पाठ कर के स्रोताओ के मन मानस को झंकृत कर दिए।जयपुर की कवयित्री व तृतीय दिवस की कार्यक्रम अध्यक्ष वीनू शर्मा  ने अपने चिरपरचित अंदाज मे अपना काव्यपाठ "संस्कारों के फूल खिलाएँ,सुंदर घर-संसार बनाएँ।" सुनाकर कार्यक्रम को यशस्वी बना दी।

तृतीय दिवस को जुड़ी गोरखपुर की आमंत्रित कवयित्री पूनम शर्मा 'स्नेहिल' ने अपने जादुई शब्दों से दिल भर दी,रस भर दी।संस्थान की यशस्वी सचिव और सहडोल मध्य प्रदेश की कवयित्री प्रणाली श्रीवास्तव के रचनाओ ने दिल छू लिए तो देवरिया की यस आर जी शिक्षिका डा0 शीला चतुर्वेदी की नपी तुली शिष्ट रचना की सराहना सबने की।जौनपुर की कवयित्री वन्दना श्रीवास्तव और देवरिया के गीतकार कवि रामबली गुप्ता ने तो अंत मे सभी कमी को पूरा करते हुए मंच जीत लिये।

इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिन का संचालन सीमा मिश्रा फतेहपुर द्वितीय दिन का संचालन कामिनी मिश्रा उन्नाव और तृतीय दिन का सफल संचालन नीरजा बसंती गोरखपुर  ने किया।सम्पूर्ण कार्यक्रम की समीक्षा और काव्यपाठ के साथ कवियो के काव्यपाठ का क्रम  निर्धारण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0पंकज-प्राणेश ने की।इस तीन दिवसीय कार्यक्रम मे मुख्य रूप से वन्दना पाण्डेय गोरखपुर,डा0समराना फैय्याज बरेली, प्रियंका पेडिवाल अग्रवाल नेपाल,महिमा तिवारी देवरिया, शालिनी सिह देवरिया,क्षमा शुक्ला औरंगाबाद, राजीव गुर्जर-मुरादाबाद,चारू मित्तल मथुरा,शीतल श्रीकांत पाढारे पुणे,राजन बर्मा बलिया,ज्योति अग्निहोत्री 'नित्या' इटावा,  पुष्पलता लक्ष्मी रायबरेली, रामकुमारी जी चित्रकूट,मंजू मीरा सजल नागौर, लता नायर सरगुजा, दामिनी सिंह ठाकुर इन्दौर, शुभ्रा सिह गोरखपुर, एआरपी त्रय आमोद कुमार सिंह,विपिन कुमार दूबे और अमित कुमार शर्मा आदि ने अपना काव्यपाठ कर हिन्दी की अलख जगा दी।

 कार्यक्रम के अन्तिम समापन समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 पंकज-प्राणेश  ने सभी सम्मानित रचनाकारो के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस तरह के कार्यक्रम हर माह आयोजित होते रहेगे।इन्होंने बताया कि अगले सप्ताह एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन कर सभी प्रतिभागी रचनाकारो को सम्मानित किया जाएगा।समापन समारोह को राष्ट्रीय संरक्षक वीरेन्द्र कुमार मिश्र बिरही,राष्ट्रीय संरक्षक बृन्दावन राय सरल,राष्ट्रीय संरक्षक वीनू शर्मा,प्रदेश अध्यक्ष नीरजा बसंती,राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सीमा मिश्रा,राष्ट्रीय महासचिव अंजना मिश्रा,सचिन प्रणाली श्रीवास्तव और कार्यक्रम संयोजिका डा0 जानकी झा ने सम्बोधित किया।


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