आओ एक नया इतिहास बनाये

 औरंगजेब और कुतुबुद्दीन ऐबक हमारे कोई नहीं थे ,

वो मेहमान थे और मेहमान नवाजी करते करते वो हमारे चचा के फूफा बन गए और हम उन के गुलाम।
कमाल की बात तो यह है कि हम अपनी संस्कृति और इतिहास भूल मुग़लई में ऐसे रँगे की आज तक उन के नाम पर मस्जिद और शहर बसाये हुए है।
हमनें अपनी पीढ़ी तो गुलाम बना ही ली ये मजहबी लड़ाई में अब अपने बच्चों को भी यही गुलामी विरासत में सौपे जा रहे है ताकि वो लड़ते रहे ये मेरा था और ये मेरा है में।
देश में पहले हिंदू शाषन था तो जो पहले था उस ने ही नगर बसाया था पर फूफा जी ने आ के उसे तोड़ कर मस्जिद बना दी,वो मुगल साम्राज्य खड़ा कर गए और तुम उन के गुलाम बन गए क्योंकि तुम मुसलमान थे और वो मुस्लिम समाज का।
चलो अच्छी बात है पर उस के मर ने के बाद "सजदा ए यार" मत करो तुम सिर्फ उस के गुलाम थे।
बहुत तो अपना नाम और धर्म छोड़ दिये क्योंकि जान है तो जहान है।
भला एक "मरता क्या न करता", मजबूरी और हालात ऐसे थे कि हम ने अपने आतंकी का सर झुका कर सजदा कर लिया।
उस ने शहर के शहर निस्ते न बुद कर दिए और ईनाम में एक दो मस्जिद तुम्हे नमाज अदा करने को दे दी।
जरा सोचो बड़े मियाँ की जहाँ तुम ईबादत करते हो वो जगह किसी और के ईश का मंदिर थी,लोग वहाँ पूजा अर्चना करते थे इसलिए आज तक शांति रही वहाँ।
तुम कहते हो कि वो महाकाल है तो हमारे अपमान का बदला खुद क्यों नहीं ले लेता है।
तो तुम्हें सनातनि धर्म और उस के प्रभाव का कुछ अता पता नहीं।
जिस जगह शिव रहते है और जिस जगह ठाकुर जी आप विराजे हो वहाँ के कण कण में उन का बास हो जाता है और जो कोई भी उन्हें फूल या बेल पत्र भी अर्पण करें उस को वो अंगीकार करते है और उस जगह को विघ्नों से मुक्त कर देते है।
युगों युगों तक आराध्य कृपा बरसती रहती है उस जगह पर।
भाई जो कालो के भज काल है।
भस्म और विष को धारण करने वाले है,भूत प्रेत और पिशाच जिन के गण है उन्हें तुम मानव बंदी बना कर रख लिए ये तुम्हारा भृम है मेरे भाई।
जरूर कोई चूक तो हुई होगी उन की पूजा में जिस से वो अपने भक्तों से रुष्ट हो गए ।
जो स्वंय रुद्र है ,उन को तुम क्या पर्दे में रखोगे।
इतनी किसी की सामर्थ्य नही की वो सनातनियों का विनाश कर सकें ।
हाँ यदि किसी पेड़ को जबरन हिलाओगे तो उस के फल,फूल पत्ते उस की शाखाओं से गिर जायेंगी और यदि बल अधिक लगाया और प्रहार किया तो कमजोर शाख भी गिर सकती है पर जिस  वृक्ष की  जड़े जमीन में अंदर मजबूत हो उसे कभी उखाड़ा नही जा सकता, तुम उसे जला भी दो तो कुछ वर्षों बाद अपने आप अंकुरित हो जाता है वह वृक्ष ।
कल क्या था यह सब को साक्ष्य है और आज क्या है यह भी जग जाहिर है ।
तुम यहाँ कुछ वर्षों से नबाज अदा करते हो ईबादत करते हो,तुम्हे वो जगह छोड़ना गवारा नही  वर्षो से तुम वही कर रहे हो नमाज,तो जरा इतना तो सोचो बड़े मियां की हम ने भी वर्षो यहाँ पूजा ,अर्चना की थी।
तब जबरन मन्दिरों को तोड़ा गया इतिहास सब को पता है, कैसे सब को गुलाम बनाया गया था।शायद हम दोनों ने ही वो प्रताड़ना सहन की थी।
हमारे पुरखे जो कभी एक हुआ करते थे आज अपने अपने स्वर्ग और जन्नत से ये नजारा देख रहे होंगे और सोच रहे होंगे कि हम ने अपनी कौम को बचाने के लिए कुर्बानी दी और हमारी ही औलादें आज फिर उस गुलाम का संग दे रही है।
अल्लाह ने यह तो नहीं कहा होगा कि मैं सिर्फ मन्दिर में की जाने वाली इबादतों को ही मानुगा क्योंकि अगर तुम ने कही और मस्जिद बनाई तो मैं खुश नहीं होंगा।
मंदिर तो वहाँ युगों युगों से था और साक्ष्य हमारे ग्रँथ है।
पुराणों में सब जगह का व्यख्यान लिखा हुआ मिलता है तो हिन्दू मुस्लिम धर्म युद्ध को छोड़ो और अपनी आने वाली पीढ़ियों को इन मुग़लई शासकों का गुलाम बनाने ने से रोको।
देश हम दोनों का है जब 400 और 500 साल से हम एक भूमि पर नवाज और पूजा दोनों कर रहे थे तो ईश्वर या अल्लाह ने दोनों ने ही अपने अपने बच्चों की पूजा और नवाज स्वीकार की।
पर आज जब तुम को पता है कि वो शिवलिंग है फुव्वारा नही तो क्यों उसे छिपा कर रखा है वो तुम्हारे अल्लाह की मूर्ति तो नही फिर उस से इतना लगाव क्यों,अगर किसी मंदिर में तुम्हारे अल्लाह की मूर्ति हो तो तुम उसे सहर्ष ले सकते हो ,हमें कोई ऐतराज नहीं होगा ।
आने वाली पीढ़ियां वो न सहें जो हमारे पुरखों ने सहन किया था।हम चैन और अमन की बात करते है तो इस मुद्दे को शांति से सुलझा कर अपनी आने वाली पीढ़ियों और दुनियाँ के लिए एक मिसाल कायम कर के दिखाये।
आओ इस देश को फिर वही हिंदुस्तान बनाये।
तुम खुदा का घर बनाओ और हम मन्दिर में जोत जलाये।
आओ फिर एक नया इतिहास बनाये।













संध्या चतुर्वेदी 
    मथुरा

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