वर्तमान परिदृश्य में हिंदी

भाषाओं का प्रयोग व्यावहारिक एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान दोनों ही दृष्टियों से आवश्यक है' ।भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को 1950 के अनुच्छेद 343 के तहत देश की आधिकारिक भाषा के रूप में 1950 में अपनाया। इसके साथ ही भारत सरकार के स्तर पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाएं औपचारिक रूप से इस्तेमाल हुईं। 1949 में भारत की संविधान सभा ने देश की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। हिंदी हमारे देश की आधिकारिक भाषा बन गई। आज न्यायालयों और बैकों आदि में भी हिन्दी में कार्य करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है.हिंदी आज एक विश्वव्यापी भाषा बन चुकी है.तमाम देशों में भाषा के रूप में हिन्दी पढ़ाई जा रही है.विश्व के तमाम देशों में हिन्दी भाषा में पत्र पत्रिकाओं का भी प्रकाशन हो रहा है.बीच में हिन्दी साहित्य जरूर थोड़ा कमजोर हुआ था.परन्तु इधर के कुछ वर्षों में इसकी ख्याति पुनः बहुत बढ़ गयी है। 

हिंदी हमारी मातृभाषा, राजभाषा है।सन 1949 को सरकारी भाषा बनने के ऐतिहासिक उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को देश हिंदी दिवस मनाता है। हिंदी दिवस मे ,सांस्कृतिक कार्यक्रम, काव्यगोष्ठी, और कुछ प्रतियोगिता आयोजित  की जाती है। भारत सालों तक गुलाम रहा और जब आजाद हुआ तो अपनी भाषा हिन्दी के प्रचार -प्रसार और विकास के लिये सार्थक प्रयास नहीं कर पाया।विद्धानों ने भी इस बात को माना हैं।वर्तमान में पूरे विश्व में सबसे अधिक लोग हिंदी बोलते हैं। हिंदी के विकास यात्रा की बात करें तो ईसा-पूर्व750 से उत्तर वैदिक संस्कृत का क्रमिक विकास शुरू हुआ।ईसा -पूर्व400 में पाणिनी ने संस्कृत व्याकरण को व्यवस्थित किया।देवसेना आवकाचार को हिंदी की प्रथम पुस्तक माना जाता है।सन1100 में आधुनिक देवनागरी लिपि का उदय हुआ।सन 1145-1229 में हेमचन्द्र ने अपभ्रंश व्याकरण लिखा।सन 1886 से आधुनिक हिन्दी साहित्य में भरतेन्दु युग का आरंभ हुआ।सन 1931 में हिन्दी में पहली बोलती फ़िल्म आलमआरा बनी।सन 1949 में जाकर केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिन्दी को अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाने के लिए सरकारी भाषा अधिनियम बना तब से लेकर अब तक हिंदी दिवस बड़े जोर शोर से मनाया जाता रहा है।

भाषा केवल मन के विचारों के अभिव्यक्तिकरण का सशक्त माध्यम ही नहीं अपितु उसकी जननी भी है

आज के समय में अंग्रेजी की ओर एक झुकाव है जिसे समझा जा सकता है क्योंकि अंग्रेजी का इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है
जहाँ अंग्रेजी एक विश्वव्यापी भाषा है और इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है वहीँ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम पहले भारतीय हैं और हमें हमारी राष्ट्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए। हिंदी दिवस भारतीय संस्कृति को संजोने और हिंदी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में मनाया जाने वाला हिंदी दिवस राष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाता है जिसमें देश के राष्ट्रपति उन लोगों को पुरस्कार देते हैं.

 जबकि भारत में ज्यादातर हिंदी बोलने वाली जनसंख्या है।दुनिया भर में लोग हिंदी गीतों और हिंदी फिल्मों को प्यार करते हैं जो स्पष्ट रूप से इस भाषा के प्रति स्नेह को परिभाषित करता है।भले ही हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है परन्तु इसके मूल देश में लोग इसको महत्व नहीं देते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज, कॉर्पोरेट, कार्यालयों तक अंग्रेजी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है और हिंदी अंग्रेजी से पिछड़ जाती है। माता-पिता, शिक्षकों और हर किसी को लिखित और मौखिक रूप से अंग्रेजी सीखने के महत्व पर जोर देना आम बात है इस दिवस पर विभागों, मंत्रालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों को राजभाषा पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।हिंदी दिवस को विभिन्न स्थानों पर बहुत उत्साह से मनाया जाता है . 

हिंदी भाषा का प्रयोग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के अन्य देशों में भी किया जाता है जिनमें पाकिस्तान, नेपाल, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड अरब एमिरेट्स और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
      यह समय है कि विद्यार्थियों को दोनों भाषाओं, अंग्रेजी और हिंदी, को एक जैसा मानना ​​और सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए। नई पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति और अंग्रेजी भाषा से अधिक प्रभावित है और उनका आँख बंद करके पालन कर रही है। यह दिन उनकी संस्कृति की याद दिलाने का एक अच्छा तरीका है जो उनके चरित्र-निर्माण के लिए मददगार है.

 त्रिभाषा सूत्र में हिंदी -अंग्रेजी एवं स्थानीय भाषा को महत्व मिला था   हमारी भाषा, संस्कृति और मूल्य हमारे साथ बरक़रार रहने चाहिए और ये एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करते है। हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देशभक्ति भावना के प्रेरित करती है
 जो उनके चरित्र-निर्माण के लिए मददगार है.













    प्रियंका द्विवेदी
       कौशांबी

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