चरित्र अथवा सच्चरित्रता को यदि हम परिभाषित करें, तो अच्छे आचरण, चाल चलन, स्वभाव, गुणधर्म, आदि इत्यादि को चरित्र तथा सचरित्रता का तात्पर्य अच्छा चाल चलन, अच्छा स्वभाव, अच्छे व्यवहार से है। मनुष्य समाज के बीच रहने वाला दोपाया है। अतः समाज के मध्य ऐसे गुणों का होना आवश्यक है, जिनके द्वारा व समाज में शांति पूर्वक रहते हुए देश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। मनुष्य के खराब आचरण से समाज का वातावरण भी प्रदूषित, खराब होता है। दूसरी तरफ अच्छे राष्ट्रीय चरित्र फलादेश हमेशा प्रगति के पथ पर चलकर एक महान राष्ट्र की संज्ञा पाता है। काम, क्रोध,लोभ, मोह, संताप, निर्दयता और ऐसे अवगुण मनुष्य के सामाजिक जीवन में अशांति उत्पन्न करते हैं। ऐसा व्यक्ति सदैव दुराचारी ही माना जाता है जो अच्छे आचरण या अच्छे चरित्र का ना हो। दूसरी ओर इसके जरा विपरीत निष्ठा, ईमानदारी, लगन शीलता, संयम तथा परोपकार इत्यादि पालन करने वाला मनुष्य चरित्रवान और सच्चरित्र वाला कहलाता है। इसके अलावा उदारता, विनम्रता,सहिष्णुता, सत्यभाषण किसी राष्ट्र को चरित्रवान बनाता है।
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