कैंसर दिवस

"खुशबू केसर की कैंसर तक ले गयी, शौक दो ग्राम सुपारी, सुपारी दे गयी"


       'कैंसर’ एक ऐसा शब्द है, जिसे अपने किसी परिजन के लिए डॉक्टर के मुंह से सुनते ही परिवार के तमाम सदस्यों के पैरों तले की जमीन खिसक जाती है। दरअसल परिजनों को अपने परिवार के उस सदस्य को हमेशा के लिए खो देने का डर सताने लगता है। बढ़ते प्रदूषण तथा पोषक खानपान के अभाव में यह बीमारी एक महामारी के रूप में तेजी से फैल रही है। कैंसर के संबंध में यह जान लेना बेहद जरूरी है कि यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन अगर इसका सही समय पर पता लगा लिया जाए तो उपचार संभव है। कैंसर एक ऐसी बीमारी बन चुकी है। जिसके मरीज दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। इसका इलाज काफ़ी महंगा है। एक गरीब को हो जाने पर उसके बचने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। यदि यह बीमारी अमीरों को होती है तो वो काफी पैसा खर्च इलाज करवा लेते है। मेरा प्रश्न यह है कि आखिर क्यों कैंसर की बीमारी होती है? तीन-चार दशक पहले की बात करें तो कैंसर मरीजों की संख्या इतनी नहीं थी।
        आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है। विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं।
उद्देश्य कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताना और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना।
अन्य जानकारी कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज तो अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया है पर इसे काबू करना और इससे बचाव संभव है। विश्व कैंसर दिवस प्रत्येक वर्ष 4 फ़रवरी को मनाया जाता है। आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है। विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। इसी कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस की तरह मनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सकें और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सकें।
            विश्व कैंसर दिवस के इतिहास के बारे में बात करें तो इसकी सही शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी। और तब से यह दिन विश्व में कैंसर के प्रति निरंतर जागरुकता फैला रहा है। भारत में भी इस दिन सभी स्वास्थ्य संगठनों ने जागरुकता फैलाने का निश्चय लिया है। भारत उन देशों में काफ़ी आगे है जहां तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की वजह से कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत ज़्यादा है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तो अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया है पर इसे काबू करना और इससे बचाव संभव है। वैसे कैंसर हो जाने पर इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है पर नामुमकिन नहीं। मरीज़ अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी का सामना करे और सही समय पर इलाज मुहैया हो तो इलाज संभव हो जाता है। साथ ही हमेशा से माना जाता है कि उपचार से बेहतर है बचाव। इसी तरह कैंसर होने के बचे रहने में ज़्यादा समझदारी है।
           कैंसर से बचने के लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल न करें, कैंसर का ख़तरा बढ़ाने वाले संक्रमणों से बचकर रहें, चोट आदि होने पर उसका सही उपचार करें और अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाए। कैंसर के ज़्यादातर मामलों में फेफड़े और गालों के कैंसर देखने में आते हैं, जो तंबाकू उत्पादों का अधिक सेवन करने का नतीजा होता है। ऐसे मामलों में उपचार बेहद जटिल हो जाता है और मरीज़ के बचने के चांस भी कम हो जाते हैं। इसके साथ ही आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर काफ़ी ज़्यादा देखने में आ रहा है जो बेहद खतरनाक होने के साथ काफ़ी पीड़ादायक होता है। यदि सही समय पर अगर इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार किया जाए तो इसका इलाज बेहद सरल बन जाता है। कैंसर से सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है युवाओं को जो आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते हैं। विश्व को कैंसर मुक्त करने के लिए आप भी कदम बढ़ाएं और खुद तथा अपने सगे सबंधियों को तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए।

गोपाल कृष्ण पटेल
दीनदयाल कॉलोनी
जांजगीर छत्तीसगढ़
मेंबर आई डी-12411












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