हम होंगे कामयाब

जनवरी का महीना शुरू हो चुका था। हरि को गुरुकुल की याद आने लगी थी। प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर गुरुकुल के सभी विद्यार्थी हाथों में झंडे लेकर देशभक्ति के गीत गाते हुए प्रभात फेरी के लिए निकलते। उनके स्वागत में लोग घरों के बाहर आकर खड़े हो जाते। ढोलक, मंजीरे, हारमोनियम बजाते हुए ताल से ताल मिलाकर उनके साथ चलते। क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान। सब उनके पीछे पीछे गीत गाते हुए चलते।

दो साल पहले हरि की माताजी ने उसे गुरुकुल भेज दिया था। गांव के दूसरे बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते थे लेकिन उन स्कूलों की फीस भरने की उनकी सामर्थ्य नहीं थी। इसलिए जब उपाध्याय जी ने गुरुकुल स्थापित किया तो गरीब बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिल गया। उपाध्याय जी पास के गांव के ही रहने वाले थे। सरकारी नौकरी से सेवामुक्त हुए तो अपने पैतृक घर में आकर रहने लगे। खेतों की जमीन में उन्होंने एक गुरुकुल की नींव रखी। भारतीय संस्कृति से उन्हें विशेष लगाव था। उनका मानना था कि वैदिक संस्कृति ही सर्वोत्तम है। जीवन दर्शन सिखाती है। यदि भारत में फिर से अपनी संस्कृति अपनाई जाए तो भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है। यदि बच्चों को वेद पुराणों की शिक्षा दी जाए, गीता, रामायण, कुरान और बाइबिल पढ़ाई जाए तो एक स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है। उपाध्याय जी अपनी पेंशन के पैसों से गुरुकुल के विद्यार्थियों के खाने और रहने की व्यवस्था करते थे। आस पास के कई गांवों में घोषणा करवाने के बाद बीस विद्यार्थी गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने आए थे। वेदों के एक प्रकांड विद्वान को उपाध्याय जी ने शिक्षक के रूप में नियक्त किया था। गरीब बच्चों का भविष्य उपाध्याय जी संवार रहे थे परन्तु कोरोना ने आकर सब बंद करवा दिया। सभी विद्यार्थी अपने अपने घर वापिस चले गए। हरि भी अपने गांव लौट आया और एक किराने की दुकान पर नौकर लग गया। परन्तु गुरुकुल को भूल नहीं पाया।

मकर संक्रांति पर बहुत सी पतंग बेची। गुड और तिल भी। पतंग उड़ाने का बहुत मन था किन्तु दुकान पर ज्यादा भीड़ होने के कारण छुट्टी नहीं मिली। उदास मन से शाम को घर पहुंचा तो देखा कि मां बड़ी खुश थी। हरि जब खाना खा रहा था तो मां ने बताया कि गुरुकुल से उसका बुलावा आ गया है। कल सुबह ही रवाना होना है। पास के गांव से मुख्यमंत्री जी का काफिला गुजरेगा। यदि गुरुकुल में आए तो शायद उनकी कृपा हो जाए। भविष्य में और भी बच्चे शिक्षित हो पाएंगे गुरुकुल में।
अगले दिन प्रातः काल ही हरि गुरुकुल वापिस चला गया। और भी बच्चे वापिस आ गए। गुरुजी पहले ही आ चुके थे। फिर से वही दिनचर्या प्रारम्भ हो गई। पांच बजे उठना। योगा प्राणायाम और ध्यान। मंत्रोच्चार, पढ़ाई लिखाई और श्रमदान। दो चार दिन मन नहीं लगा लेकिन उसके बाद सभी बच्चे फिर से घुल मिल गए।

मुख्यमंत्री जी के जाने के लिए गुरुकुल से कुछ ही दूरी पर हेलीपैड बनाया गया था। वहां से हेलीकॉप्टर में बैठकर उन्हें शहर जाकर एक जनसभा को संबोधित करना था। हेलीपैड बनाने का प्रस्ताव गुरुकुल की जमीन पर ही था लेकिन उपाध्याय जी ने यह कहते हुए मना कर दिया था कि विद्यार्थी वापिस आने वाले हैं। आयोजक इस बात पर उनसे नाराज़ थे।

निर्धारित समय पर मुख्यमंत्री जी आए और हेलीकॉप्टर में बैठकर शहर के लिए रवाना हो गए। आयोजकों ने उन्हें गुरुकुल के विषय में कोई सूचना नहीं दी। उपाध्याय जी उदास थे।
गणतंत्र दिवस के दिन फिर से सभी विद्यार्थी सुबह तैयार होकर, हाथों में भारत का झंडा लेकर, भारत माता की जय बोलते हुए, प्रभात फेरी के लिए निकले। गुरुजी और उपाध्याय जी भी उनके पीछे चल रहे थे। आस पास के गांवों में चक्कर लगाकर दोपहर तक सब लोग गुरुकुल वापिस आए। उपाध्याय जी हवन कुंड के पास ही धूप में बैठ गए। सभी विद्यार्थी उन्हें घेरकर खड़े थे। हरि के साथ साथ सभी ने एक स्वर में बोलना प्रारम्भ किया," दादाजी, हम सभी आज प्रतिज्ञा करते हैं कि इतने गुण वान बनेंगे कि स्वयं मुख्यमंत्री जी आकर आपसे गुरुकुल के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे।" उपाध्याय जी उठ कर खड़े हो गए। बच्चे आकर उनसे लिपट गए।," तुम सब ही मेरे मुख्यमंत्री हो।" बच्चों ने एक स्वर में हाथ उठाकर नारा लगाया," भारत माता की जय।"जयकार से गुरुकुल गूंज उठा।


अर्चना त्यागी
व्याख्याता रसायन विज्ञान
एवम् कैरियर परामर्शदाता
जोधपुर ( राज.)
फोन 09461286131












1         यदि आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रू से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें