कितने अजीब हैं ये रिश्ते

आज 25 Nov. 2019 अन्त हो गया उसका, उसकी ज़िन्दगी के इस खेल का , ज़िन्दगी ने खेल ही तो खेला  राधा के साथ । आज सुबह से ही मन बहुत परेशान था, ना जाने क्या होने वाला है, अजीब सी आशँका ने घेरा हुआ था , कि जैसे ही दोपहर होती है तो एक फोन आता है......हेलो.........दीदी, दीदी राधा का किस्सा खत्म हो गया, चली गई वो हमें छोड़ कर, अन्त हो गया उसकी ज़िन्दगी के खेल का । एक खेल ही तो खेल रही थी उसकी ज़िन्दगी उसके साथ , अभी दो साल पहले ही मार्च का महीना, चैत्र नवरात्रि..... हमेशा  पूरे नवरात्री के वर्त रखती है , शरद और चैत्र नवरात्री । इस बार भी रखे , हर समय हँसते रहना ,पूजा-पाठ, सबकी सेवा सास-ससुर की, घर आए अतिथि की आवभगत ,सब काम सब बड़े मन से करती थी , कभी किसी को शिकायत का मौका ही नही देती , तबीयत अगर ठीक ना हो तब भी किसी को बताना नही, कि मेरी तबीयत ठीक नही है, बस अपना फर्ज निभाते जाना । इश्वर की कृपा से तीन-तीन जवान बेटे ,लेकिन बेटी को तरसती थी । हाँ बड़े बेटे की शादी की, अरे शादी क्या लड़की देखने गये , पसन्द आ गई ,बात बन गई, बड़ो ने कहा कि अभी ले चलो साथ तो बस ठीक है , उसी समय फेरे करवाए और ले आए बेटी बना के, बेटी की तरह ही प्यार करती थी उसे । अनुराधा...... हाँ यही नाम है उसका , और बेटा...तुषार , तुषार की बीवी अनुराधा .... वो भी सास को माँ ही मनती थी ।..........  राधा रोज़ सुबह पाँच बजे उठ जाती थी, माता जी को चाय देनी होती है ,फिर मँदिर भी जाना है, कभी-कभी तो माता जी सारी रात परेशान करती थी ,.....राधा मेरी कमर मे दर्द है....राधा मेरी टाँगो में दर्द है, अभी रात चाय की डिमाँड, तो कभी दवा, और कभी पानी....लेकिन राधा ने कभी किसी बत के लिए ना नही कहा.....बस जी माता जी...जी माता जी। ...सारी रात परेशान होने के बावजूद भी  उसने सुबह पाँच बजे अपनी डयूटी बजानी है...लेकिन ये क्या....आत छह बज गये और राधा नही उठी ऐस तो आजतक कभी भी नहीं हुआ । राधा....ओ राधा.. अरे आज ये सूरज किधर से निकला ...जो आज राधा रानी अभी तक बिस्तर को पकड़े है...क्यो जी आज आज चाय-वाय किसी को नही मिलेगी क्या... आकाश..राधा का पति राधा को आवाज़ लगाता है, वो सैर कर के घर वापिस आ गया और राधा अभी तक नही उठी, उसे अचम्भा भी हुआ ..कि ऐसा कैसे हो सकता है... 25  साल हो जो आज तक नही हुआ ,वो आज कैसे हो गया... जाकर देखता है ...... हूँँ ...जी .. उठती हूँ ... माफ करना जी... आज तो आँख ही नही खुली, पता नही  कैसे...माता जी भी चाय का इन्तज़ार कर रही होंगी.. बस जी अभी दो मिन्ट मे आती हूँ ।  उठ कर आई, चाय का पानी रखा गैस पर ,इतने मे अनुराधा भी उठ कर आ जाती है... राधे-राधे मम्मी जी...राधे -राधे , चाय पिओगी ना ,  हाँ मम्मी जी , आज आप कैसे लेट हो गये.. अच्छा आप चाय बनाईये तब तक मैं माही (अनुराधा की बेटी )   को जगा दूँ , फिर बहुत देर लगाती है  तैयार होने में, अनुराधा माही को जगा कर स्कूल के लिए तैयार कर लेती है ।  सब ने चाय पी, इतने में मानित भी उठ गया , ओर तुषार दैनिक क्रिया से निवृत होकर तैयार हो गया , माही को स्कूल छोड़ने के लिए चला जाता है ,    मानित पहले तैयार हो कर दुकान पर चला जाता था, तुषार बाद में पापा को साथ लेकर सबका लँच ले कर जाता था, क्योकि ईश्वर की कृपा से काम इतना अच्छा था ,कपड़े की दुकान थी , सारा दिन साँस लेने तक की फु़रसत नही मिलती थी, और अब तो उपर दो मँज़िला show room बन गया था । राधा  अपनी दैनिक क्रिया से निवृत हो कर घर मे ही पूजा करती है , ......आकाश भी तैयार हो जाता है । आकाश.......राधा आज मँदिर नही चलना क्या...??? नहीं जी आज तबीयत ठीक नही  लग रही , आज आप ही चले जाईये , मुझमें तो चलने की हिम्मत नही लग रही आज ।आकाश राधा के माथे को छुकर देखता है....अरे तुम्हें तो बहुत तेज़ बुखार है , चलो तुम आराम करलो , मै मँदिर से आते हुए डाक्टर साहब को साथ लेता आऊँगा । आकाश मँदिर के लिए निकल गए , अनुराधा ने सुना कि मम्मी जी को बुखार है तो उन्हे आराम करने की हिदायत दे कर काम मे लग जाती है । अम्मा  (माता जी ) जी को नहलाना-धुलाना , सबका नाशता और लँच तैयार करना झटपट सब तैयारी मे लगी है , इतने मे आकाश डाक्टर साहब को ले आते है ।  डाक्टर......  चैक करने के बाद.... देखिए अभी तो मै दवाई दे रहा हूँ लेकिन आप इन्हे बड़े अस्पताल ले जाऐं और सारे टैस्ट करा ले एक बार । .....क्यो डाक्टर साहब सब ठीक तो है ना ,.......हूँ ..... आप एक बार टैस्ट करा ले तभी कुछ कह पाऐंगे.......तुषार यह सुनकर ... उसी समय माँ को बड़े अस्पताल ले जाने का फ़ैसला करता है और थोड़ी देर मे अस्पताल के लिए माँ को लेकर निकल जाता है । राधा को लेकर स्पताल में यह कह कर admit कर लिया जाता है कि शायद इनके गुर्दो मे कुछ दिक्कत है इसलिए सारे test होंगे और इन्हे दो-तीन दिन रखना होगा ।  तीन दिन तक तबीयत मे कोई सुधार नही है , तुषार परेशान हो जाता है...डाक्टर से....sir...wt is the problem, pls tell me clearly . हमें बताएं तो सही दिक्कत क्या है............देखिए हमें लगता है इन्हे किसी बड़े शहर लेजाना होगा , शायद इनके गुर्दो ने काम करना बँद कर दिया है....... अगर ऐसा है तो आप हमे सही से क्यो नही बताते, मै इन्हे अभी चँडीगढ़ ले जाऊँगा , उसी समय ही वो मँ को लेकर  और मानित को साथ ले  P.G.I. चँडीगढ़ के लिए चल पड़ते है , वहाँ पहुँच कर इलाज शुरू होता है , और पता चलता है कि राधा को Blood cancer  कैंसर है सब के पैरो तले से ज़मीन निकल जाती है । तीसरा बेटा साहिल जो पँजाब में नौकरी कर रहा है ,वो भी पहुँच जाता है , सभी दूःखी है, सभी को चिन्ता है राधा की। दो साल तक वही पर ही रहना ,खाना, सब घर बार छोड़ कर बैठे हैं , कि शायद राधा की तबीयत में कुछ सुधार आ जाए । लेकिन नही इश्वर को तो ये मँज़ूर नही है ना । इश्वर तो खेल रहा  है उसकी ज़िन्दगी के साथ । कहते है कर बुरा तो हो बुरा,   कर भला तो हो भला......राधा ने तो किसी के साथ कुछ बुरा नही किया ।।  सास को माँ से ज्यादा चाहा....ननदें गुन गाते नही थकती राधा के , दो साल से सब उसके लिए प्रार्थना कर रहे है कि हे इश्वर राधा का दूःख हमे दे दो, सब सँगी -साथी सब उदास से है उसके बिना , सब राह तक रहे है कब राधा ठीक हो कर अपने शहर ,अपने घर वापिस आऐंगी ।  एक महीने से राधा को हर रोज़ खून चढ़ाया जा रहा है , क्योकि उसका खून नही बन रहा ,और जो चढ़ाया जा रहा है वो भी कभी नाक से ,कभी मुँह से और कभी योनिद्वार से निष्कासित हो रहा है ।   राधा बहुत तकलीफ़ मे है ,लेकिन चेहरे पर अब भी मुस्कराह ही है , शिकन तो कभी थी ही नहीं चेहरे पर , शिकायत करना तो जैसे राधा को आता ही नही था, ना कभी इश्वर से, ना कभी इन्सान से । एक ननद के बेटे की शादी है 4 दिन के बाद....और दूसरी ननद की बेटी की शादी है 10 दिन के बाद ,सब के लबो पर एक ही बात है कि ये 10 दिन अच्छे से निकल जाऐं अर्थात शादियाँ ठीक से हो जाए  ..  .क्या यही इन्सान की ज़िन्दगी की कीमत है , सबको अपनी-अपनी है कि हमारे प्रोग्राम पूरे हो जाएं , एक इन्सान जो तकलीफ सह रहा है उसकी कोई कीमत नही । वो तकलीफ मे है , आज उसका नसीब भी  देखो क्या  रँग दिखा रहा है , कोई नयी  दवाई डाक्टर ने बताई है ,लेकिन वो कहीं भी नही मिल पा रही  ,पति और बच्चे तड़फ़ रहे है ,जगह-जगह, शहर-शहर ढ़ुँढ रहे है कि वो दवाई मिल जाएं लेकिन कहीं नही मिल रही , इश्वर ने खेलना जो था उसकी जि़न्दगी के साथ , सो आज खेल रहा है ..... खेल , खेल लिया इश्वर ने उसकी ज़िन्दगी के साथ, उड़ गए उसके प्राण-पँखेरू, फोन की उस घन्टी के साथ, मेरी भी तन्द्रा टूटती है , ........हैलो ......हाँ बोलो बहना.....उधर से आवाज़ आती है ....दीदी 4 बजे का समय है ले जाने का , अन्तिम दर्शन को समय से पहूँच जाना ....हूँ बस इतना ही कह पाई थी मै ।... ....छोड़ कर चली गई वो सब का साथ हमेशा -हमेशा के लिए  ......और सब पूछ रहे है कि  समय कौन सा रक्खा है लेजाने का ......

अलविदा........खेल खत्म हो गया आज राधा की ज़िन्दगी का ।..... .... ये कैसै रिश्ते हैं......... ये कैसे नाते है........    #सिलसिले सब तोड़ गए वो जाते-जाते......या खुदा इतना तो वक्त दिया होता , कुछ सुनते ,कुछ कह जाते#
#घरों_में_इतनी_तेज़_कहाँ_चलती_हैं_उसे_तो_सिर्फ_हमारा_ही_दिया_बुझाना_था. 




प्रेम बजाज, जगाधरी
 ( यमुनानगर) 











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