आत्मकथ- कैसा रहा साल 2020 मेरे लिए -----------------------

संघर्ष का दूसरा नाम ही जिंदगी है | चाहे वह किसी मौसम का दौर क्यों ना हो ? इंसान को हर हालत में स्वीकार करना पड़ता है | अच्छे अच्छे तुर्म्मखां देखे हैं | अपने समय की मार खाए हुए | फिर हम किस खेत की मूली है | चलते रहना ही जिंदगी है | जिंदगी में जितने ज्यादा कांटे मिलेंगे! उतनी ही बड़ी सफलता आपको मिलेगी | ये साल मेरे लिए बड़ी चुनौती भरी रही |

आइए जानिए ! कैसा रहा साल 2020 मेरे लिए |


जनवरी- बात करते हैं, साल के प्रथम माह की, बाराबंकी जिले की तहसील हैदरगढ़ के ग्राम बीजापुर में नौकरी चलते ठहरना पड़ा |


फ़रवरी-फ़रवरी माह में जिला फैजाबाद में अयोध्या नगरी में भगवान श्रीराम जी की जन्मस्थली पर भ्रमण करके भगवान श्री राम जी के दर्शन किए | साथ में रहे साथी जितेंद्र, बॉबी, आकाश। उसी माह जालमा हॉस्पिटल आगरा में लैब अटैंडेंट परीक्षा दी लेकिन उसका परिणाम आज तक ना आ सका |


मार्च- परिवार में कुछ कारणों के चलते घर में होली का त्यौहार ना मन सका | 19 मार्च को चित्रकूट धाम की यात्रा करके कर्वी पहुंचकर रामघाट के दर्शन किए |  लेकिन कोरॉना वायरस की हाहाकार के चलते ना तो सती अनुसुइया, गुप्तगोदावरी, मंदाकिनी नदी पर बने मंदिरों के दर्शन ना कर सके | 21 मार्च को हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात में 22 मार्च को पूरे भारत को बंद करने की अपील की | साथ में कोरोना महामारी को भगाने हेतु ताली और थाली भी बजानी पड़ी|  प्रदेश भर में लॉक डाउन के कारण घर पहुंचने में बहुत परेशानी उठानी पड़ी | 


अप्रैल- 22 अप्रैल को आर०एम०आर०सी०,
आई०सी०एम०आर० गोरखपुर में बी०एस०एल-III, प्रयोगशाला में कोरोना योद्धा के रूम में काम करने का मौका मिला। पहली बार कोरोना सैंपल पड़कने में डर लग रहा था | मानो हाथों में एटमबम हो  |


मई- अनुज विनोद कुमार की दो मई को लग्न एवम् पांच मई को घर में शादी में सम्मिलित नहीं हो सका | क्योंकि प्रथम चरण के सीरो-सर्वे व कोरोना वायरस के चलते  | उसी माह माता रामदेवी जी की तबीयत अचानक खराब होने के कारण घर के लिए वापसी करनी पड़ी |


जून- पत्रकार रनवीर वर्मा जी से उनके आवास मनोहरपुर में मुलाकात हुई  |


जुलाई - तीन जुलाई को जरार बाह में "संकल्प मानव सेवा संस्था" के अध्यक्ष भाई श्री उमेन्द्र राजपूत जी के द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया | जिसमें मै अवधेश कुमार, विष्णु प्रताप वर्मा, भूरीसिंह वर्मा अमित ओझा जी ने स्वैच्छिक रक्तदान किया। उसी दिन वरिष्ठ समाज सेवक ड्रा० लेखराज जी के सम्मान समारोह में शामिल हुए | उसी माह युवा समाज सेवक श्री भूरीसिंह वर्मा जी ने "महान धनुर्धर वीर एकलव्य जी" की प्रतिमा देकर सम्मानित किया | उस सम्मान के लिए मैं जीवन भर ऋणी रहूंगा | माह के अंतिम सप्ताह में पिता तुल्य श्री अजय राजपूत एवम् बड़े भाई नरेन्द्र सिंह भारतीय जी घर पधारे! उनसे मिलकर बहुत ख़ुशी मिली |


अगस्त - 15 अगस्त को आर०एम०आर०सी० गोरखपुर  में ध्वजरोहण के बाद मुझे अपनी कविता "बेटी हम शर्मिन्दा है" को प्रस्तुत करने का मौका मिला | कोरोना  वायरस के सीरो-सर्वे के द्वितीय चरण के चलते जिला बलरामपुर, गोंडा, मऊ की यात्रा की | 29 अगस्त को मेरी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव अाई | घर में ही होमकोरनटाइन रहने से पूरा घर भर दहशत में था।  भगवान गुहराज निषाद जी ने पुनः जिन्दगी दी। पांच दिन बाद कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने पर राहत भरी सांस ली।


सितम्बर- अगस्त माह में जिला धौलपुर में रैहना बाली माता व बटेश्वर नाथ जी के पत्नी मनु के साथ दर्शन किए | काम के चलते झासी की भी यात्रा करनी पड़ी |


अक्टूबर - 7 अक्टूबर को मेरी और मित्र लेखक मुकेश कुमार ऋषि वर्मा जी की साझा संकलन स्मारिका "युवा धड़कन" का विमोचन क्षेत्रीय विधायक श्री जितेन्द्र वर्मा जी द्वारा किया गया | बड़े भैया रवि जी के साथ "ढाई घाट" फरुखाबाद में गंगा मईया में स्नान किए |


नवम्बर- माह के प्रथम सप्ताह में प्रयागराज में रहना हुआ | 14 नवंबर को आगरा रुनकता में शनिदेव जी के माता रामदेवी जी एवम् पत्नी मनु के साथ दर्शन किए  |  

24 नवंबर को संकल्प मानव सेवा संस्था के अध्यक्ष श्री उमेन्द्र राजपूत जी एवम् भारत सरकार के निजी सचिव आई०आर०एस० श्री अमरपाल लोधी जी ने कोरोना योद्धा का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया |  साथ में सस्था की सदस्यता  भी ली | 25 नवंबर को परम मित्र आकाश गोस्वामी जी की शादी में शामिल होने का अवसर मिला | माह के अंतिम सप्ताह में तहसील फतेहाबाद कार्यालय में  के० डी० कॉन्वेंट स्कूल के प्रबंधक श्री पुरषोत्तम वर्मा जी के साथ तहसीलदार फतेहाबाद को केवट/मल्लाह जाति प्रमाण के सम्बन्ध में ज्ञापन दिया।


दिसम्बर-  2 दिसम्बर को प्रयागराज में संगम स्नान एवं (अल्फ्रेड पार्क ) शहीद पार्क इलाहाबाद में भ्रमण किया ! साथ में रहे साथी पुनीत कुमार, मुकेश मिश्रा, मोहम्मद अफ़रोज़, रोहित बघेल, जय वर्धन, आकाश, दीपक पिपल आदि | 19 दिसंबर को भगवान गुहराज़ निषाद जी की जन्म स्थली श्रृंगवेरपुर धाम जाकर उनका मंदिर, पुराना क़िला देखा | पत्नी मनु की अचानक तबियत ख़राब होने के कारण गोरखपुर से घर की वापसी करनी पड़ी | साल के अंतिम दिन मेरे सहयोगी, परम मित्र श्री मुकेश कुमार ऋषि वर्मा जी से फतेहाबाद में मुलाकात हुई। पूरे दिन शाम तक तहसील फतेहाबाद के बाहर साल 2020 के विषय में मुकेश जी से चर्चा हुई | साथ में प्रीतम निषाद जी का सहयोग रहा |

कुल मिलाकर साल 2020 मेरे लिए कुछ खास नहीं रहा | आर्थिक स्थिति ठीक करने के लालच में कई जगह की यात्रा की | फिर भी मेरी आर्थिक स्थिति ठीक ना हो सकी | साहित्य क्षेत्र में महीने भर में एक दो लघुकथा, संस्मरण कविता, आदि रचनाएं प्रकाशित होती रही | सोशल मीडिया पर पूरे साल भर सक्रिय रहा | देखने को मिला कि कभी ख़ुशी तो कभी गम पल भर में ही समय बदलता गया | लेकिन भगवान स्वरूप मेरे माता-पिता जी का आशीर्वाद हमेशा  मेरे ऊपर बना रहा | अब देखते हैं कि साल 2021 हमारे लिए किस तरह साबित होता है | जीवित रहे तो 2022 में फिर से अपनी आत्मकथा के साथ मिलेंगे | जीने मरने की तो उपर वाले के हाथ में है | देखते हैं जिन्दगी अब पटरी पर लाती है या नहीं। भगवान भोलनाथ से प्रार्थना करता हूं  कि साल 2021 मेरे लिए व पूरे संसार के लिए सही साबित एवम् अपार मनोकामनाएं पूर्ण करें |
                 आख़िर जीना तो ज़रूरी है.................


- अवधेश कुमार निषाद मझवार











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