जोगीरा सारा रार्रर्रर्रर

देवर भाभी की मस्ती में, होता जब हुड़दंग।
ढूंढ ढूँढ कर इक दूजे को, खूब लगाते रंग।।
जोगीरा सारा रार्रर्रर्रर


कहि बन्दर उपमावति रहती, चुहल करे बिंदास।
देवर के मन भात अदाएं, भौजी की यह खास।।
जोगीरा सारा रार्रर्रर्रर


रँगे पुते द्वारे पर देखे  ,सजनी ने भरतार।
अपनी तुम पहचान दिखाओ , माँग रहीं आधार।।
जोगीरा सारा रार्रर्ररर


पोत दिया सजना ने उनके , मुख पर खूब गुलाल।
यही सुनो पहचान हमारी, फैलाया फिर जाल।।
जोगीरा सारा रार्रर्ररर


करें ठिठोली जीजा साली, होली का पर्याय।
रंग लगाते जब जब जीजा, साली है गुर्राय।।
जोगीरा सारा रार्रर्ररर


झूठा मुठा गुस्सा जीजा, समझ रहे हैं खूब।
तुम्हरी जीजी हमरा आँगन, अरु तुम प्यारी दूब।।
जोगीरा सारा रार्रर्रर्रर


मन अवगुंठन खोलता, होली का त्योहार।
कर कर के उपहास वो, बाँटें अनुपम प्यार।।
जोगीरा सारा रार्रर्ररर



                          रजनी रामदेव



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